भारतीय महिलाओं की अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भागीदारी

संदर्भ• भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम, जिसका नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) करता है, में महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विभिन्न प्रमुख मिशनों में उनकी भागीदारी ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) में महिलाओं की बढ़ती भूमिका को प्रतिबिंबित किया है। यह लेख अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भारतीय महिलाओं की भागीदारी, उनकी उपलब्धियों और उनके सामने आने वाली चुनौतियों का विश्लेषण करता है।

मुख्य भाग

  1. ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
    1. प्रारंभिक योगदान: भारत की अंतरिक्ष यात्रा के शुरुआती दिनों से ही महिलाएं इसका हिस्सा रही हैं। प्रमुख अग्रणियों में डॉ. टेसी थॉमस शामिल हैं, जिन्हें ‘मिसाइल वुमन ऑफ इंडिया’ के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अग्नि मिसाइल परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    1. उपलब्धियाँ: 2013 का मंगलयान मिशन एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था, जिसमें रितु करिधल और नंदिनी हरिनाथ जैसी महिला वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  2. प्रमुख मिशन और महिलाओं की भूमिकाएँ
    1. मंगलयान (Mars Orbiter Mission): 2013 में लॉन्च हुए इस मिशन में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा। रितु करिधल, जिन्हें ‘रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया’ कहा जाता है, ने उप-ऑपरेशंस निदेशक के रूप में कार्य किया।
    1. चंद्रयान-2: इस मिशन का नेतृत्व दो महिला वैज्ञानिकों, रितु करिधल और एम. वनिता ने किया, जो पहली बार था जब किसी भारतीय अंतरिक्ष मिशन का नेतृत्व महिलाओं ने किया।
    1. चंद्रयान-3: इस मिशन में 100 से अधिक महिला वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने हिस्सा लिया, जो 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरा।
  3. अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ
    1. कार्य-जीवन संतुलन: कई महिला वैज्ञानिक अपने करियर और पारिवारिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाती हैं। परिवार का सहयोग और लचीली कार्य नीतियाँ उनकी सफलता के लिए महत्वपूर्ण हैं।
    1. लिंग भेदभाव: STEM में महिलाओं के योगदान के बावजूद, उन्हें अक्सर लिंग भेदभाव और रूढ़ियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए ‘Women in Space Leadership Programme’ जैसी पहलों का संचालन किया गया है।
  4. सरकार और संस्थागत समर्थन
    1. नीतियाँ और पहल: भारतीय सरकार और ISRO ने अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न नीतियों को लागू किया है। इनमें परामर्श कार्यक्रम, छात्रवृत्तियाँ और नेतृत्व प्रशिक्षण शामिल हैं।
    1. स्वीकृति और पुरस्कार: महिला वैज्ञानिकों को उनके योगदान के लिए लगातार पहचान मिल रही है। उदाहरण के लिए, चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल को ‘शिव शक्ति’ नाम दिया गया ताकि इस मिशन में महिलाओं की भूमिका को सम्मानित किया जा सके।
  5. भविष्य की संभावनाएँ
    1. बढ़ती भागीदारी: STEM में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के प्रयासों के साथ, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है। आने वाले मिशनों में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान देखने को मिलेगा।
    1. अगली पीढ़ी को प्रेरित करना: अंतरिक्ष कार्यक्रमों में महिलाओं की सफलता युवा लड़कियों को STEM में करियर बनाने के लिए प्रेरित करती है। शैक्षिक जागरूकता और रोल मॉडल इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उदाहरण

  • रितु करिधल: ‘रॉकेट वुमन ऑफ इंडिया’ के रूप में प्रसिद्ध, वह मंगलयान और चंद्रयान-2 सहित कई प्रमुख मिशनों का हिस्सा रही हैं।
  • एम. वनिता: वह चंद्रयान-2 की परियोजना निदेशक थीं, जो एक उच्च-दांव मिशन में नेतृत्व को दर्शाती हैं।
  • कल्पना कलाहस्ती: चंद्रयान-3 की उप-परियोजना निदेशक के रूप में, उन्होंने इस मिशन की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

भारतीय महिलाओं की अंतरिक्ष कार्यक्रमों में भागीदारी उनकी क्षमता और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है। लगातार समर्थन और मान्यता के साथ, उनके योगदान और बढ़ेंगे, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में अधिक समावेशी और अभिनव भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।

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